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Delhi: ‘कागज नहीं दिखाएंगे’ कहने वालों को जल्दी ही दिखाने पड़ेंगे कागजात, NPR पर केंद्र सरकार ने किया ये अहम फैसला

केंद्रीय गृह मंत्रालय की सालाना रिपोर्ट में कहा गया है कि जन्म, मृत्यु और प्रवास के कारण होने वाले बदलाव को एनपीआर में शामिल करने की जरूरत है। रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने असम के अलावा पूरे देश में एनपीआर डेटा को अप्रैल से सितंबर 2020 तक 2021 की जनगणना के आधार पर अपडेट करने का फैसला किया है।

नई दिल्ली। सीएए कानून के बाद आंदोलन करने वाले लगातार ये नारा दे रहे थे कि ‘हम कागज नहीं दिखाएंगे’। अब ऐसे लोगों को भी आने वाले दिनों में अपने निवासी होने के कागजात केंद्र सरकार को दिखाने पड़ेंगे। वजह है राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर यानी NPR को अपडेट किया जाना। केंद्रीय गृह मंत्रालय की सालाना रिपोर्ट में कहा गया है कि जन्म, मृत्यु और प्रवास के कारण होने वाले बदलाव को एनपीआर में शामिल करने की जरूरत है। रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने असम के अलावा पूरे देश में एनपीआर डेटा को अप्रैल से सितंबर 2020 तक 2021 की जनगणना के आधार पर अपडेट करने का फैसला किया है। ये अपडेशन कोरोना और अन्य वजहों से पहले स्थगित कर दिया गया था। बता दें कि एनपीआर में इस अपडेट को करने का भी तमाम लोग विरोध करते आए हैं।

Amit Shah and PM Modi

केंद्र सरकार ने हर निवासी के बारे में खास जानकारियां इकट्ठा कर साल 2010 में एनपीआर तैयार किया था। इसे नागरिकता एक्ट 1955 के तहत बनाए गए नागरिकता नियम 2003 के तहत तैयार किया गया है। एनपीआर के डेटा को अपडेट करने के लिए तीन स्तर की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। वेब पोर्टल पर खुद लोग कुछ प्रोटोकॉल का पालन कर अपडेट कर सकेंगे। इसकी मंजूरी सरकार जल्द देगी। इसके अलावा पेपर के जरिए और मोबाइल एप से भी एनपीआर डेटा को अपडेट किया जाएगा। केंद्र सरकार ने एनपीआर डेटा को अपडेट करने के लिए 3941 करोड़ रुपए पहले ही जारी कर रखे हैं।

एनपीआर में साल 2015 में नाम, लिंग, जन्मस्थान, जन्मतिथि, निवास स्थान, पिता और माता के नाम अपडेट करने का काम किया गया था। साथ ही हर निवासी के आधार, मोबाइल और राशन कार्ड नंबर भी लिए गए थे। जब सीएए कानून पास हुआ, तो इसके खिलाफ एक वर्ग ने जमकर प्रदर्शन किया था और उस दौरान एनपीआर और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर NRC के खिलाफ भी आवाज उठाई थी। ये सभी लोग ‘कागज नहीं दिखाएंगे’ का नारा उस वक्त जोर-शोर से बुलंद कर रहे थे। सीएए के मसले पर दिल्ली समेत कई जगह हिंसा भी हुई थी।