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Opposition And Congress: अगर विपक्ष की एकता हुई तो 300 से ज्यादा लोकसभा सीटों पर कांग्रेस का क्या होगा? यहां समझिए गणित

विपक्षी दलों की एकता अगर हुई और बीजेपी के एक प्रत्याशी के मुकाबले अगर विपक्ष का एक ही साझा प्रत्याशी उतारने का फैसला हुआ, तो इससे क्षेत्रीय दल तो फायदे में रहेंगे, लेकिन कांग्रेस दिक्कत में आ सकती है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर 300 से ज्यादा लोकसभा सीटों पर कांग्रेस की दिक्कत का गणित क्या है।

नई दिल्ली। विपक्षी दलों की एकता अगर हुई और बीजेपी के एक प्रत्याशी के मुकाबले अगर विपक्ष का एक ही साझा प्रत्याशी उतारने का फैसला हुआ, तो इससे क्षेत्रीय दल तो फायदे में रहेंगे, लेकिन कांग्रेस दिक्कत में आ सकती है। वजह ये है कि कांग्रेस का राज्यों में दबदबा कम है। लोकसभा की 309 सीटें ऐसी हैं, जिनमें कांग्रेस को जगह देने पर विपक्षी दल शायद सहमत नहीं होंगे। ऐसे में कांग्रेस अगर मोदी और बीजेपी विरोधी मोर्चा का हिस्सा बनी, तो उसके लिए अपने राज्यों में मजबूत क्षेत्रीय दलों से खुद के लिए सीट हासिल करने में नाको चने चबाने पड़ सकते हैं।

sonia and rahul gandhi

कांग्रेस के लिए कितनी दिक्कत है, ये यूपी में सपा प्रमुख अखिलेश यादव के बयान से साफ हो जाता है। यूपी में लोकसभा की 80 सीटें हैं। अखिलेश यादव लगातार दावा कर रहे हैं कि सभी 80 सीटों पर सपा जीत दर्ज करेगी। यूपी में कांग्रेस के पास पिछले चुनाव में सिर्फ रायबरेली की सीट बची थी। ऐसे में सपा की तरफ से कांग्रेस को ज्यादा सीटें दिए जाने की उम्मीद नहीं है। खासकर तब, जबकि एक बार कांग्रेस से गठबंधन कर सपा को फायदे की जगह नुकसान हो चुका है। अखिलेश का जयंत चौधरी के आरएलडी से नाता है। जयंत चौधरी घर का काम बताकर पटना में हुई विपक्ष की बैठक में नहीं गए थे। तेलंगाना में भी सत्तारूढ़ बीआरएस और कांग्रेस के बीच असहज संबंध हैं और के. चंद्रशेखर राव ने भी पटना की बैठक से दूरी बना ली थी। अब सबकी नजर जुलाई में शिमला में होने वाली बैठक पर लगी है, लेकिन कांग्रेस के लिए अभी से मंथन करना बहुत जरूरी है।

opposition meet

अब बाकी राज्यों को भी देख लेते हैं। महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों पर उद्धव ठाकरे और शरद पवार की एनसीपी अपना दावा सबसे आगे रखेंगी। यहां कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले भी ताल ठोकते रहते हैं। पश्चिम बंगाल में कांग्रेस का एक भी विधायक अब नहीं है। जो चुना गया था, उसे ममता बनर्जी ने अपनी पार्टी में शामिल कर लिया। बंगाल में लोकसभा की 42 सीटें हैं। बिहार में 40 लोकसभा सीटें हैं। यहां जेडीयू और आरजेडी एक तरह से सबसे बड़े दल हैं। तमिलनाडु में 39 लोकसभा सीटें हैं। यहां फिलहाल डीएमके सत्ता पर काबिज है। केरल में 20 सीटें हैं और यहां वामपंथी सरकार है। केरल की वामपंथी सरकार ने कांग्रेस के राज्य अध्यक्ष को गिरफ्तार कर अपने इरादे एक तरह से जाहिर भी कर दिए हैं। झारखंड में जेएमएम है और राज्य में 14 लोकसभा सीटें हैं। पंजाब में लोकसभा की 13 सीटें हैं। यहां सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी और कांग्रेस में छत्तीस का आंकड़ा जगजाहिर है। दिल्ली में भी दोनों के बीच 7 लोकसभा सीटों पर समझौता होना फिलहाल असंभव लग रहा है। वहीं, जम्मू-कश्मीर की 6 लोकसभा सीटों पर नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी काबिज हैं। ये सीटें भी कांग्रेस को मिलने की गुंजाइश कम ही है।