भोपाल। ‘जनता का देने साथ, आ रहे हैं कमलनाथ’…मध्यप्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष और प्रवक्ता अब्बास हफीज ने ये पोस्टर भोपाल में लगाए थे। अब्बास हफीज समेत कांग्रेस के तमाम नेता 17 नवंबर को हुई वोटिंग के बाद से ही दावे पर दावे करने शुरू कर दिए थे कि मध्यप्रदेश की सत्ता से शिवराज सिंह चौहान का जाना तय है। शायद कमलनाथ और अब्बास हफीज समेत मध्यप्रदेश कांग्रेस के नेताओं को अति आत्मविश्वास था कि पार्टी एक बार फिर मध्यप्रदेश में सरकार बना लेगी, लेकिन यही आत्मविश्वास अब चिंता में बदलता दिख रहा है। बीजेपी की तरफ से पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम शिवराज सिंह चौहान के अलावा अन्य नेताओं का जिस तरह जमकर प्रचार कराया गया और डबल इंजन की सरकार से होने वाले फायदे गिनाए गए, उसने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ को एक बार फिर जोर का झटका दिया है।
इससे पहले भी कमलनाथ और मध्यप्रदेश की पूरी कांग्रेस के साथ पार्टी के आलाकमान को 2020 में तब झटका लगा था, जब 22 विधायकों ने हाथ का साथ छोड़ कमल का निशान थाम लिया था। ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में जाने के बाद उनके समर्थक विधायक भी कांग्रेस छोड़कर चले गए थे। कमलनाथ को दिग्गज नेता माना जाता है। वो केंद्र की कांग्रेस सरकारों में मंत्री भी रहे हैं, लेकिन मध्यप्रदेश में कमलनाथ लगातार फेलियर नेता के तौर पर सामने आए हैं। मध्यप्रदेश में कांग्रेस की हार इसलिए भी आलाकमान के लिए चिंता का सबब बनेगी, क्योंकि यहां राहुल और प्रियंका गांधी ने बीजेपी को राज्य की सत्ता से हटाने के लिए पूरा दम झोंका था। मध्यप्रदेश के नतीजे सिर्फ कमलनाथ के लिए ही नहीं, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के लिए भी बड़ी निराशा लेकर आए हैं।
कांग्रेस ने भले ही मल्लिकार्जुन खरगे को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाकर दिखाया कि पार्टी पर गांधी परिवार का कब्जा नहीं है, लेकिन राहुल गांधी ही पार्टी के सबसे बड़े सर्वमान्य नेता हैं। कांग्रेस के नेता उन्हीं के इर्द-गिर्द रहते हैं। सबसे बड़ा स्टार प्रचारक राहुल गांधी को ही माना जाता है। वहीं, दादी इंदिरा गांधी जैसी शक्ल और नाक होने की बात कहकर प्रियंका गांधी को कांग्रेस के तमाम टॉप के नेता आगे ले जाने की हरदम कोशिश में रहते हैं, लेकिन मध्यप्रदेश ने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की बातों पर ध्यान नहीं दिया। राज्य की जनता के मन में मोदी और मोदी के मन में मध्यप्रदेश के बसने का बीजेपी का नैरेटिव राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और कमलनाथ पर भारी पड़ गया है।