नई दिल्ली। हाथरस मामले में तमाम राजनीतिक दलों ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की कड़ी आलोचना की और इस्तीफे की मांग की। इसको लेकर अब शिवसेना सांसद संजय राउत ने भी अपनी आलोचना के साथ योगी सरकार पर कड़ा प्रहार किया है। कभी भाजपा का सहयोगी रही शिवसेना ने यूपी की भाजपा सरकार पर जोरदार हमला बोलते सामना में हाथरस के मसले को उठाया है। सामना में इस मामले को लेकर लिखा गया है कि बेटी बचाओ के नारों के बीच एक बेटी की बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई। सामना में इस घटना को पाकिस्तान में होने वाले अल्पसंख्यकों पर जुल्म से जोड़कर बताया गया है। सामना में लिखा है कि जिस तरह से हिंदू लड़कियों को अगवा करके बलात्कार करने की घटनाएं पाकिस्तान में होती हैं, यही सब अब उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुआ।
सामना में लिखा है कि राहुल गांधी से धक्का-मुक्की की गई, ये कैसी आजादी है। एक नटी (अभिनेत्री) के लिए एक कानून, बेटी के शरीर का अपमान करके जला दिया जाता है। सामना में कंगना रनौत के ऑफिस पर बीएमसी की कार्रवाई को लेकर लिखा गया है कि, मुंबई में एक अभिनेत्री द्वारा बनवाया गया अवैध कार्यालय तोड़ा, इस वजह से जिन्हें न्याय, अन्याय, महिलाओं पर अत्याचार की हिचकी आई, वे सभी लोग हाथरस पीड़िता की अवैध ढंग से जलाई गई चिता के मामले में ठंडे हैं। उसके लिए कोई कैंपेन नहीं चला, क्योंकि वो स्टार नहीं थी।
शिवसेना ने अपने मुखपत्र के जरिए योगी सरकार पर निशाना साधते हुए लिखा कि, यह सब योगी के रामराज्य मतलब उत्तर प्रदेश में हुआ, ऐसी घटना बीच-बीच में पाकिस्तान में होती रहती है। हिंदुओं की लड़कियों को जबरदस्ती अगवा कर, बलात्कार करके उन्हें मारकर फेंक दिया जाता है। हाथरस में अलग क्या हुआ? लेकिन अभी तक तो हाथरस को कोई पाकिस्तान कहता हुआ नहीं दिखा।
आरोप लगाते हुए सामना में लिखा गया है कि, अगर हाथरस जैसी घटना महाराष्ट्र जैसे राज्य में हुई होती तो इतने में सरकार बर्खास्तगी की, राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग हो ही गई होती। राष्ट्रीय महिला आयोग निश्चित तौर पर क्या चीज है, यह समझ में नहीं आता है। महिला आयोग हाथरस प्रकरण में चुप बैठा है। हाथरस की बलात्कार पीड़िता का आक्रोश दिल्ली तक पहुंचने के बाद भी कुछ नहीं किया है।
सीएम योगी के ड्रीम प्रोजेक्ट फिल्म सिटी के निर्माण को लेकर शिवसेना ने लिखा है कि, उत्तर प्रदेश में ‘रामराज्य’ है ही, वहां अब एक हजार एकड़ में फिल्म सिटी बनाई जा रही है। इसलिए फिल्म जगत की कई रानियां-महारानियां आगे से लखनऊ, कानपुर में ही रहने जाएंगी। इनमें से किसी रानी ने ‘योगीराज’ को पाकिस्तान अथवा जंगलराज की उपमा दी तो वहां के भाजपा के कार्यकर्ता संयम बरतेंगे और किसी रानी का अवैध निर्माण तोड़ने के लिए सरकारी लाव-लश्कर नहीं भेजेंगे।
दिल्ली में हुए निर्भया कांड के बाद भाजपा के प्रदर्शन को याद दिलाते हुए सामना में लिखा गया कि, वर्ष 2012 में दिल्ली में निर्भया कांड हुआ तब संपूर्ण भाजपा सड़क पर उतर गई, संसद बंद करवा दी थी। मीडिया ने निर्भया के लिए ‘न्याय’ देने वाला तंत्र ही खड़ा कर दिया था। निर्भया तब सभी की बहन और बेटी बन गई। फिर हाथरस की कन्या ‘अस्पृश्य’ क्यों रह गई? या वह दलित होने के कारण न्याय से वंचित रह गई?