नई दिल्ली। किसान कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के प्रदर्शन को लेकर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश देते हुए कृषि कानूनों को अमल में लाने पर रोक लगा दी है। बता दें कि ये रोक कोर्ट के अगले आदेश तक लगी रहेगी। वहीं इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने एक कमेटी भी बनाई है। इस कमेटी को लेकर किसान संगठनों ने अपना विरोध व्यक्त किया है। गौरतलब है कि, इस कमेटी में कुल चार लोग शामिल होंगे, जिनमें भारतीय किसान यूनियन के भूपिंदर सिंह मान, डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, अशोक गुलाटी (कृषि विशेषज्ञ) और अनिल शेतकारी शामिल हैं। वहीं इस कमेटी को लेकर विरोध कर रहे किसान संगठनों का कहना है कि, कमेटी में ऐसे भी लोग हैं जो इस कृषि कानून के पक्षकार भी हैं। वहीं मंगलवार को कोर्ट के फैसले के बाद किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि, “सरकार अपने ऊपर से दबाव कम करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के जरिए कमेटी ले आई, इसका हमने कल ही विरोध कल दिया था। हम प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कमेटी को नहीं मानते हैं, कमेटी के सारे सदस्य कानूनों को सही ठहराते रहे हैं।”
वहीं कुछ ऐसे भी किसान नेता हैं जो इस तरह की कमेटी के सामने नहीं जाना चाहते और ना ही ऐसी किसी समिति का गठन चाहते हैं। ऐसे में सुनवाई के दौरान चीफ़ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा, “हम इस मसले का हल निकालने के लिए एक कमेटी का गठन कर रहे हैं। इस कमेटी के जरिए हमारे सामने एक साफ तस्वीर आ सकेगी। इसके बाद हम यह दलील नहीं सुनना चाहते हैं कि किसान कमिटी के सामने नहीं जाएंगे। हम इस समस्या का समाधान चाहते हैं। अगर आप अनिश्चित समय के लिए विरोध-प्रदर्शन करना चाहते हैं तो कर सकते हैं।” बता दें कि यह कमेटी दो महीने में सुप्रीम कोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद किसान नेताओं ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें उनकी तरफ से कहा गया कि, कमेटी का मतलब है कि मामला ठंडे बस्ते में चला गया। किसान नेताओं ने कमेटी के सामने पेश होने से साफ इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, सदस्यों के नाम बदल देंगे, तब भी कमेटी से नहीं मिलेंगे।
गौरतलब है कि 26 जनवरी को किसानों द्वारा ट्रैक्टर रैली निकालने को लेकर अब किसानों द्वारा कहा गया है कि, “हमारा 26 जनवरी का प्रोग्राम पूरी तरह शांतिपूर्ण होगा, जिस तरह से भ्रम फैलाया जा रहा है जैसे किसी दुश्मन देश पर हमला करना हो, ऐसी गैर ज़िम्मेदार बातें संयुक्त किसान मोर्चा की नहीं हैं। 26 जनवरी के प्रोग्राम की रूपरेखा हम 15 जनवरी के बाद तय करेंगे।”