नई दिल्ली। बुधवार को पंजाब एवं अन्य राज्यों के प्रमुख किसान नेताओं ने दिल्ली के सिंघु बार्डर पर एक बैठक की। इस बैठक में किसान नेताओं ने तय किया कि अगर सरकार को किसानों से किसी हल को लेकर बात करनी है तो वो साफ मन से बात करे। वहीं सरकार द्वारा दिए जा रहे किसानों को आश्वासन को लेकर किसान नेताओं ने अपनी बैठक में तय किया कि सरकार किसानों को लिखित रूप से ठोस प्रस्ताव दे। उनकी तरफ से साफ कहा गया है कि उन्हें कानून में संशोधन मंजूर नहीं। बता दें कि मोदी सरकार ने कृषि कानूनों का लेकर आंदोलनरत किसानों के साथ बातचीत करने की बात कही है। बैठक के बाद किसानों की तरफ से कहा गया कि, सरकार की तरफ से आए पत्र को किसानों की तरफ से भी जवाब दिया जाएगा। वहीं कीर्ति किसान यूनियन के उपाध्यक्ष एवं किसान नेता राजिंदर सिंह ने मीडिया से बातचीत में बताया कि बैठक में हमारी तरफ से कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की गई है।
उन्होंने कहा कि, एमएसपी और कानूनी खरीद के कानूनी अधिकार देने वाले कानून को लागू करने की सरकार से मांग की फिर से पुष्टि की गई। उन्होंने बताया कि सरकार को हमारी तरफ से बातचीत की कोई तारीख नहीं दी गई है। लिखित जवाब एक से दो दिन में भेजा जाएगा। किसान नेताओं ने एक लंबी बैठक के बाद मीडिया से बात की। जिसमें उन्होंने कहा कि, सरकार इस मामले को लंबा खींचना चाहती है। नया कानून कृषि क्षेत्र में कारपोरेट जगत को प्रवेश कराने की साजिश है। हमने अमित शाह से भी इस बारे में कहा था।
आपको बता दें कि, कृषि कानून (New Agriculture laws) को रद्द कराने की मांग पर अड़े किसान संगठनों ने आज केंद्र सरकार को अपना जवाब भेजने के लिए अंतिम रणनीति तय करने के लिए सिंघु बॉर्डर पर बैठक की थी। यह बैठक दोपहर 2 बजे से सिंघु बॉर्डर (Singhu Border) पर शुरू हुई, जिसमें पंजाब के अलावा अन्य राज्यों के किसान नेता भी शामिल रहे।